कुल उपलब्ध रोजगार में रियल एस्टेट सेक्टर की हिस्सेदारी 17.5% है |
रियल एस्टेट सेक्टर ने देश मे एक बड़े पैमाने पे लोगो को रोजगार दिया है | देश में अभी जरूरत से कम मकानों की सप्लाई हो रही है। फिलहाल करीब 3.5 करोड़ मकानों की कमी है, जबकि सालाना लगभग 10 लाख घरों की ही बिक्री हो रही है। अगले 7 साल में मकानों की बिक्री दोगुनी होने का अनुमान है। टॉप-8 शहर में अभी हर साल करीब 3.5 लाख मकान बिकते हैं। इसमें टियर 2 और 3 शहरों को मिला दें तो सालाना करीब 10 लाख मकानों की बिक्री होती है। जिस हिसाब से देश में आबादी और मकानों की डिमांड बढ़ रही है, उसे देखते हुए साल 2030 तक यह हर वर्ष करीब 20 लाख मकान बिकने लगेंगे। नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) और ग्लोबल रियल एस्टेट कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक के ‘रियल एस्टेट विजन’ के मुताबिक, 2047 तक सालाना 55 लाख मकानों की बिक्री होने लगेगी। नारेडको के प्रेसिडेंट राजन बंदेलकर ने बताया कि रियल एस्टेट रोजगार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा सेक्टर है। देश के कुल रोजगार में इसका 17.5% योगदान है।
सात साल में 84 लाख करोड़ तक पहुंचेगा रियल एस्टेट बिजनेस |
विजन डॉक्यूमेंट के मुताबिक, देश का रियल एस्टेट मार्केट अभी करीब 41 हजार करोड़ रुपए का है। 2030 तक यह दोगुना यानी 84 लाख करोड़ रुपए से ऊपर निकल जाएगा। नाइट फ्रैंक के मुताबिक, आगामी वर्षों में भारत के रियल एस्टेट सेक्टर की ग्रोथ आर्थिक विकास दर से ज्यादा होगी।
इस साल 46 हजार करोड़ से ज्यादा पीई निवेश हो सकता है |
नाइट फ्रैंक इंडिया के रिसर्च ‘डायरेक्टर विवेक राठी के ‘मुताबिक, मजबूत आर्थिक हालात के चलते भारत दुनियाभर के निवेशकों के लिए आकर्षक निवेश बाजार बन गया है। इस साल भारतीय रियल एस्टेट में प्राइवेट इक्विटी (पीई) निवेश 46 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। 2022 के मुकाबले ये 5.3% ज्यादा है।
2030 तक 114 फीसदी ग्रोथ का अनुमान है |
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